अहिंसा
105 साल की उम्र होगी उसकी जाने किस दुर्घटना में आधी-आधी कटी थीं बाँहें झुर्रियों भरा गन्दुमी सूरत का चेहरा धँसी-धँसी आँखें... राजघाट पर गाँधी समाधि के बाहर वह सबेरे-सबेरे नज़र आती है जाने कब किसने उसे एक मृगछाला दिया था मृगछाला के रोएँ लगभग उड़ चुके हैं मुलायम-चिकनी मृगछाला के उसी अद्धे पर वो पीठ के सहारे लेटी सामने अलमुनियम का भिक्षा पात्र है नए सिक्कों और इकटकही-दुटकही नए नोटों से करीब-करीब आधा भर चुका है वो पात्र अभी-अभी एक तरूण शान्ति-सैनिक आएगा अपनी सर्वोदयी थैली में भिक्षापात्र की रकम डालेगा झुक के बुढ़िया के कान में कुछ कहेगा आहिस्ते-आहिस्ते वापस लौट जाएगा थोड़ी देर बाद शान्ति सेना की एक छोकरी आएगी शीशे के लम्बे गिलास में मौसम्बी का जूस लिए बुढ़िया धीरे-धीरे गिलास खाली कर डालेगी पीठ और गर्दन में हरियाणवी तरुणी के सुस्पष्ट हाथ का सहारा पाकर बुदबुदाएगी फुसफुसी आवाज में - जियो बेटा बुढ़िया का जीर्ण-शीर्ण कलेवर हासिल करेगा ताज़गी यह अहिंसा है इमर्जेन्सी में भी मौसम्बी के तीन गिलास जूस मिलते हैं नित्य-नियमित, ठीक वक्त पर दुपहर की धूप में वह छाँह के तले पहुँचा दी जाएगी बारिश में तम्बू तान जाएँगे मिलिटरी वाले हिंसा की छत्र-छाया में सुरक्षित है अहिंसा... गीता और धम्मपद और संतवाणी के पद इस बुढ़िया के लिए भर लिए गए हैं रिकार्ड में यह निष्ठापूर्वक रोज सुबह-शाम सुनती है रामधुन, सुनती है पद 'आपातकालीन संकट' को इस बुढ़िया की आशीष प्राप्त है

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