न धूप को है
न धूप को है न और को है अपना एहसास मगर है जैसे नहीं है आदमी के पास आदमी की शक्ल आदमी का बोध आदमी की अक्ल उसका अस्तित्व सपाट है-- सपाट नदारद अस्तित्व का अनंत सुनसान

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