समर्पित खड़ा है
समर्पित खड़ा है म्यूजियम में आदमी का दशावतारी चिंतन, वर्तमान की पथराई देह में, अतीत को पूरा जिए। बाहर नाचती है नटिन, पेट में छुरी भोंके, चकित तमाशबीनों से पैसा माँगती, पेट पालने के लिए लालायित। पास ही खड़ी फगुआई है फूल-फूल हुई बोगनबेलिया अनवगत चिंतन से- नटिन से अनभिज्ञ, मुझे अपनाए।

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