सिर पर सवार
सिर पर सवार चढ़े बैठे हैं गुम्बद (महान्- महत्वाकांक्षी- यशस्थापित- आत्माधिकारी); जमीन पर जड़े- समर्पित खड़े- देव मन्दिरों पर; लोकापवाद से विरक्त, काल का भाल चमकाए, जीवित यथार्थ से दूर, पुरातन, प्रवीन, पुष्ट और प्रसन्न हुए।

Read Next