गाँव हो या शहर
गाँव हो या शहर बचा कोई नहीं दगहिल खराब होने से तलातली पतन से। हराम हो गया सुबह से शाम तक जीना-- रात में सोना। असम्भव हो गया सुरक्षा की सड़कों पर सुरक्षा से चलना। किसी का चाकू किसी के पेट में घुसा और आदमी का चिराग समय से पहले बुझा। बढ़ते-बढ़ते बेहद बढ़ गया गम अराजकता नहीं हो पा रही कम।

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