पाटल
पाटल कपोल के अरुणोदय के, मुखर-मौन की पंखुरियों को खोले, तन्वी-तन की तरुणाई के मधु-पराग से पूरित, गंध-गंध हो महकें, मदन-मोद से नर्तन में पद मारुत-मन के बहके।

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