घर फूँक
घर फूँक तमाशा देखती है आक्रोश की भीड़;-- हाल में अभी कई-कई पार्टियों से बनी, चुनाव के चक्कर में सफल हुई। नाचते-गाते उड़ आए आँधी में, राजमार्ग पर, लोकतंत्र के बराती दिल्ली की दुलहन ब्याहने के लिए-- राजतंत्र पर हावी होने के लिए-- तरह-तरह के स्वरूप भरे।

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