बद्दल-पंखी मौसम
बद्दल-पंखी चुप-चुप मौसम; फुहियों के फाहों की नम-नम ढलती शाम; मुट्ठी-बन्द उठे हाथों के भीगे-भीगे पेड़, ठिठके, ठहरे, पांव समय के, हवा बन्द निस्पंद; टूट रहा टप-टप बूंदों से सन्नाटे का कांच, महानगर का मौन।

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