अक्षम हूं मैं
आतंकित करता है मुझे मेरा सम्मान। इसी वक्त तो परास्त करती हैं मुझे मेरी कमजोरियां। कांपता हूं मैं, यश की विभूति से विभूषित, रक्त-चंदन का टीका भाल पर लगाए, पुष्पमाल के रूप में सर्पमाल को लटकाए। अक्षम हूं मैं असमर्थताओं का पुतला, गौरव-गुन-हीन, अबलीन, धुंधला, काल-पीड़ित कविता में बहुत-बहुत दुबला। रहने दो बंधु ! मुझे रहने दो अवहेलित, जीने दो जीवन को तापित औ' परितापित, निष्कलंक रह लूंगा चाहे रहूं अवमानित।

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