तुम
तुम हो -दिन में- सूर्यमुखी नदी की नटखट देह, खुशमिज़ाज धूप। तुम हो -रात में- गुलाब-फूलों की नाव, चांदनी के चुंबनों की कलहंसी देह, बाहों में बिछलती-- नाचती, स्वप्न-मयूरी तरंग।

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