रोज़ आने पे नहीं निस्बत-ए-इश्क़ी मौक़ूफ़
रोज़ आने पे नहीं निस्बत-ए-इश्क़ी मौक़ूफ़ उम्र भर एक मुलाक़ात चली जाती है

Read Next