अहद-ए-जवानी रो रो काटा पीरी में लीं आँखें मूँद
अहद-ए-जवानी रो रो काटा पीरी में लीं आँखें मूँद यानी रात बहुत थे जागे सुब्ह हुई आराम किया

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