आशिक़ों की ख़स्तगी बद-हाली की पर्वा नहीं
आशिक़ों की ख़स्तगी बद-हाली की पर्वा नहीं ऐ सरापा नाज़ तू ने बे-नियाज़ी ख़ूब की

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