यार मेरा बहुत है यार-फ़रेब
यार मेरा बहुत है यार-फ़रेब मक्र है अहद सब क़रार-फ़रेब राह रखते हैं उस के दाम से सैद है बला कोई वो शिकार-फ़रेब ओहदे से निकलें किस तरह आशिक़ एक अदा उस की है हज़ार-फ़रेब इल्तिफ़ात-ए-ज़माना पर मत जा 'मीर' देता है रोज़गार-फ़रेब

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