ता-ब मक़्दूर इंतिज़ार किया
ता-ब मक़्दूर इंतिज़ार किया दिल ने अब ज़ोर बे-क़रार किया दुश्मनी हम से की ज़माने ने कि जफ़ाकार तुझ सा यार किया ये तवहहुम का कार-ख़ाना है याँ वही है जो ए'तिबार किया एक नावक ने उस की मिज़्गाँ के ताएर-ए-सिदरा तक शिकार किया सद-रग-ए-जाँ को ताब दे बाहम तेरी ज़ुल्फ़ों का एक तार किया हम फ़क़ीरों से बे-अदाई क्या आन बैठे जो तुम ने प्यार किया सख़्त काफ़िर था जिन ने पहले 'मीर' मज़हब-ए-इश्क़ इख़्तियार किया

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