इश्क़ में कुछ नहीं दवा से नफ़ा
इश्क़ में कुछ नहीं दवा से नफ़ा कुढि़ए कब तक न हो बला से नफ़ा कब तलक इन बुतों से चश्म रहे हो रहेगा बस अब ख़ुदा से नफ़ा मैं तो ग़ैर अज़ ज़रर न देखा कुछ ढूँढो तुम यार ओ आश्ना से नफ़ा मुग़्तनिम जान गर किसू के तईं पहुँचे है तेरे दस्त ओ पा से नफ़ा अब फ़क़ीरों से कह हक़ीक़त-ए-दिल 'मीर' शायद कि हो दुआ से नफ़ा

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