दिल से शौक़-ए-रुख़ नकू न गया
दिल से शौक़-ए-रुख़ नकू न गया झाँकना ताकना कभू न गया हर क़दम पर थी उस की मंज़िल लेक सर से सौदा-ए-जुस्तजू न गया सब गए होश ओ सब्र व ताब ओ तवाँ लेकिन ऐ दाग़ दिल से तू न गया दिल में कितने मुसव्वदे थे वले एक पेश उस के रू-ब-रू न गया सुब्हा गर्दां ही 'मीर' हम तो रहे दस्त-ए-कोताह ता सुबू न गया

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