बनी थी कुछ इक उस से मुद्दत के बाद
बनी थी कुछ इक उस से मुद्दत के बाद सो फिर बिगड़ी पहली ही सोहबत के बाद जुदाई के हालात मैं क्या कहूँ क़यामत थी एक एक साअत के बाद मुआ कोहकन बे-सुतूँ खोद कर ये राहत हुई ऐसी मेहनत के बाद लगा आग पानी को दौड़े है तू ये गर्मी तिरी इस शरारत के बाद कहे को हमारे कब उन ने सुना कोई बात मानी सो मिन्नत के बाद सुख़न की न तकलीफ़ हम से करो लहू टपके है अब शिकायत के बाद नज़र 'मीर' ने कैसी हसरत से की बहुत रोए हम उस की रुख़्सत के बाद

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