अब नहीं सीने में मेरे जा-ए-दाग़
अब नहीं सीने में मेरे जा-ए-दाग़ सोज़-ए-दिल से दाग़ है बाला-ए-दाग़ दिल जला आँखें जलीं जी जल गया इश्क़ ने क्या क्या हमें दिखलाए दाग़ दिल जिगर जल कर हुए हैं दोनों एक दरमियाँ आया है जब से पा-ए-दाग़ मुन्फ़इल हैं लाला ओ शम्अ ओ चराग़ हम ने भी क्या आशिक़ी में खाए दाग़ वो नहीं अब 'मीर' जो छाती जले खा गया सारे जिगर को हाए दाग़

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