ज़ीस्त से तंग हो ऐ 'दाग़' तो जीते क्यूँ हो
ज़ीस्त से तंग हो ऐ दाग़ तो जीते क्यूँ हो जान प्यारी भी नहीं जान से जाते भी नहीं

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