सुन के मिरा फ़साना उन्हें लुत्फ़ आ गया
सुन के मिरा फ़साना उन्हें लुत्फ़ आ गया सुनता हूँ अब कि रोज़ तलब क़िस्सा-ख़्वाँ की है

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