तुम्हारे वाज़ में तासीर तो है हज़रत-ए-वाइज़
तुम्हारे वाज़ में तासीर तो है हज़रत-ए-वाइज़ असर लेकिन निगाह-ए-नाज़ का भी कम नहीं होता

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