तअल्लुक़ आशिक़ ओ माशूक़ का तो लुत्फ़ रखता था
तअल्लुक़ आशिक़ ओ माशूक़ का तो लुत्फ़ रखता था मज़े अब वो कहाँ बाक़ी रहे बीवी मियाँ हो कर

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