कुछ तर्ज़-ए-सितम भी है कुछ अंदाज़-ए-वफ़ा भी
कुछ तर्ज़-ए-सितम भी है कुछ अंदाज़-ए-वफ़ा भी खुलता नहीं हाल उन की तबीअत का ज़रा भी

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