किसी को उदास देख कर
तुम्हें उदास सा पाता हूँ मैं कई दिन से न जाने कौन से सदमे उठा रही हो तुम वो शोख़ियाँ वो तबस्सुम वो क़हक़हे न रहे हर एक चीज़ को हसरत से देखती हो तुम छुपा छुपा के ख़मोशी में अपनी बेचैनी ख़ुद अपने राज़ की तशहीर बन गई हो तुम मेरी उमीद अगर मिट गई तो मिटने दो उमीद क्या है बस इक पेश-ओ-पस है कुछ भी नहीं मिरी हयात की ग़मगीनियों का ग़म न करो ग़म-ए-हयात ग़म-ए-यक-नफ़स है कुछ भी नहीं तुम अपने हुस्न की रानाइयों पे रहम करो वफ़ा फ़रेब है तूल-ए-हवस है कुछ भी नहीं मुझे तुम्हारे तग़ाफ़ुल से क्यूँ शिकायत हो मिरी फ़ना मिरे एहसास का तक़ाज़ा है मैं जानता हूँ कि दुनिया का ख़ौफ़ है तुम को मुझे ख़बर है ये दुनिया अजीब दुनिया है यहाँ हयात के पर्दे में मौत पलती है शिकस्त-ए-साज़ की आवाज़ रूह-ए-नग़्मा है मुझे तुम्हारी जुदाई का कोई रंज नहीं मिरे ख़याल की दुनिया में मेरे पास हो तुम ये तुम ने ठीक कहा है तुम्हें मिला न करूँ मगर मुझे ये बता दो कि क्यूँ उदास हो तुम ख़फ़ा न होना मिरी जुरअत-ए-तख़ातुब पर तुम्हें ख़बर है मिरी ज़िंदगी की आस हो तुम मिरा तो कुछ भी नहीं है मैं रो के जी लूँगा मगर ख़ुदा के लिए तुम असीर-ए-ग़म न रहो हुआ ही क्या जो ज़माने ने तुम को छीन लिया यहाँ पे कौन हुआ है किसी का सोचो तो मुझे क़सम है मिरी दुख-भरी जवानी की मैं ख़ुश हूँ मेरी मोहब्बत के फूल ठुकरा दो मैं अपनी रूह की हर इक ख़ुशी मिटा लूँगा मगर तुम्हारी मसर्रत मिटा नहीं सकता मैं ख़ुद को मौत के हाथों में सौंप सकता हूँ मगर ये बार-ए-मसाइब उठा नहीं सकता तुम्हारे ग़म के सिवा और भी तो ग़म हैं मुझे नजात जिन से मैं इक लहज़ा पा नहीं सकता ये ऊँचे ऊँचे मकानों की डेवढ़ियों के तले हर एक गाम पे भूके भिकारीयों की सदा हर एक घर में है अफ़्लास और भूक का शोर हर एक सम्त ये इंसानियत की आह-ओ-बुका ये कार-ख़ानों में लोहे का शोर-ओ-ग़ुल जिस में है दफ़्न लाखों ग़रीबों की रूह का नग़्मा ये शाह-राहों पे रंगीन साड़ियों की झलक ये झोंपड़ों में ग़रीबों के बे-कफ़न लाशे ये माल-रोड पे कारों की रेल-पेल का शोर ये पटरियों पे ग़रीबों के ज़र्द-रू बच्चे गली गली में ये बिकते हुए जवाँ चेहरे हुसैन आँखों में अफ़्सुर्दगी सी छाई हुई ये जंग और ये मेरे वतन के शोख़ जवाँ ख़रीदी जाती हैं उठती जवानियाँ जिन की ये बात बात पे क़ानून ओ ज़ाब्ते की गिरफ़्त ये ज़िल्लतें ये ग़ुलामी ये दौर-ए-मजबूरी ये ग़म बहुत हैं मिरी ज़िंदगी मिटाने को उदास रह के मिरे दिल को और रंज न दो

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