इंतिज़ार
चाँद मद्धम है आसमाँ चुप है नींद की गोद में जहाँ चुप है दूर वादी में दूधिया बादल झुक के पर्बत को प्यार करते हैं दिल में नाकाम हसरतें ले कर हम तिरा इंतिज़ार करते हैं इन बहारों के साए में आ जा फिर मोहब्बत जवाँ रहे न रहे ज़िंदगी तेरे ना-मुरादों पर कल तलक मेहरबाँ रहे न रहे! रोज़ की तरह आज भी तारे सुब्ह की गर्द में न खो जाएँ आ तिरे ग़म में जागती आँखें कम से कम एक रात सो जाएँ चाँद मद्धम है आसमाँ चुप है नींद की गोद में जहाँ चुप है

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