बाल प्रश्न
माँ! अल्मोड़े में आए थे जब राजर्षि विवेकानंदं, तब मग में मखमल बिछवाया, दीपावलि की विपुल अमंद, बिना पाँवड़े पथ में क्या वे जननि! नहीं चल सकते हैं? दीपावली क्यों की? क्या वे माँ! मंद दृष्टि कुछ रखते हैं?" "कृष्ण! स्वामी जी तो दुर्गम मग में चलते हैं निर्भय, दिव्य दृष्टि हैं, कितने ही पथ पार कर चुके कंटकमय, वह मखमल तो भक्तिभाव थे फैले जनता के मन के, स्वामी जी तो प्रभावान हैं वे प्रदीप थे पूजन के।"

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