लाडली लाल लर्तृ लखिसै अलि
लाडली लाल लर्तृ लखिसै अलि, पुन्जनि कुन्जनी में छवि गाढ़ी। उपजी ज्यौं बिजुरी सो जुरी चहुँ, गूजरी केलिकलासम काढ़ी। त्यौं रसखानि न जानि परै सुखमा तिहुँ, लोकन की अति बाढ़ी। बालन लाल लिये बिहरें, छहरें बर मोर पखी सिर ठाढ़ी।

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