कल हमारा है
ग़म की बदली में चमकता एक सितारा है आज अपना हो न हो पर कल हमारा है धमकी ग़ैरों की नहीं अपना सहारा है आज अपना हो न हो पर कल हमारा है ग़र्दिशों से से हारकर ओ बैठने वाले तुझको ख़बर क्या अपने पैरों में भी छाले हैं पर नहीं रुकते कि मंज़िल ने पुकारा है आज अपना हो न हो पर कल हमारा है ये क़दम ऐसे जो सागर पाट देते हैं ये वो धाराएँ हैं जो पर्वत काट देते हैं स्वर्ग उन हाथों ने धरती पर उतारा है आज अपना हो न हो पर कल हमारा है सच है डूबा-सा है दिल जब तक अन्धेरा है इस रात के उस पार लेकिन फिर सवेरा है हर समन्दर का कहीं पर तो किनारा है आज अपना हो न हो पर कल हमारा है

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