भगतसिंह से
भगतसिंह ! इस बार न लेना काया भारतवासी की, देशभक्ति के लिए आज भी सज़ा मिलेगी फाँसी की ! यदि जनता की बात करोगे, तुम गद्दार कहाओगे-- बम्ब सम्ब की छोड़ो, भाषण दिया कि पकड़े जाओगे ! निकला है कानून नया, चुटकी बजते बँध जाओगे, न्याय अदालत की मत पूछो, सीधे मुक्ति पाओगे, काँग्रेस का हुक्म; ज़रूरत क्या वारंट तलाशी की ! मत समझो, पूजे जाओगे क्योंकि लड़े थे दुश्मन से, रुत ऐसी है आँख लड़ी है अब दिल्ली की लंदन से, कामनवैल्थ कुटुम्ब देश को खींच रहा है मंतर से-- प्रेम विभोर हुए नेतागण, नीरा बरसी अंबर से, भोगी हुए वियोगी, दुनिया बदल गई बनवासी की ! गढ़वाली जिसने अँग्रेज़ी शासन से विद्रोह किया, महाक्रान्ति के दूत जिन्होंने नहीं जान का मोह किया, अब भी जेलों में सड़ते हैं, न्यू-माडल आज़ादी है, बैठ गए हैं काले, पर गोरे ज़ुल्मों की गादी है, वही रीति है, वही नीति है, गोरे सत्यानाशी की ! सत्य अहिंसा का शासन है, राम-राज्य फिर आया है, भेड़-भेड़िए एक घाट हैं, सब ईश्वर की माया है ! दुश्मन ही जब अपना, टीपू जैसों का क्या करना है ? शान्ति सुरक्षा की ख़ातिर हर हिम्मतवर से डरना है ! पहनेगी हथकड़ी भवानी रानी लक्ष्मी झाँसी की !

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