एक छलावा
बापू ! तुम मानव तो नहीं थे एक छलावा थे कर दिया था तुमने जादू हम सब पर स्थावर-जंगम, जड़-चेतन पर तुम गए— तुम्हारा जादू भी गया और हो गया एक बार फिर नंगा। यह बेईमान भारती इनसान।

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