अब दम-ब-ख़ुद हैं नब्ज़ की रफ़्तार देख कर
अब दम-ब-ख़ुद हैं नब्ज़ की रफ़्तार देख कर तुम हँस रहे हो हालत-ए-बीमार देख कर सौदा वो क्या करेगा ख़रीदार देख कर घबरा गया जो गर्मी-ए-बाज़ार देख कर अल्लाह तेरे हाथ है अब आबरू-ए-शौक़ दम घुट रहा है वक़्त की रफ़्तार देख कर देता कहाँ है वक़्त पड़े पर कोई भी साथ हम को मुसीबतों में गिरफ़्तार देख कर आते हैं मय-कदे की तरफ़ से जनाब-ए-शैख़ सरगोशियाँ हैं लग़्ज़िश-ए-रफ़्तार देख कर ग़ैरों ने ग़ैर जान के हम को उठा दिया बैठे जहाँ भी साया-ए-दीवार देख कर आते हैं बज़्म-ए-याराँ में पहचान ही गया मय-ख़्वार की निगाह को मय-ख़्वार देख कर इस मध-भरी निगाह की अल्लाह-रे कशिश सौ बार देखना पड़ा इक बार देख कर तुम रहनुमा-ए-वक़्त सही फिर भी चंद गाम चलना पड़ेगा वक़्त की रफ़्तार देख कर वक़्त-ए-सहर गुज़र गई क्या किया न पूछिए गर्दन में उन की सूखे हुए हार देख कर तलछट मिला के देता है रिंदों को साक़िया साग़र पटक न दे कोई होश्यार देख कर 'बिस्मिल' को क्या है चादर-ए-रहमत रसूल की साए में ले ही लेगी गुनहगार देख कर

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