फ़रहाद ओ क़ैस ओ वामिक़ ओ अज़रा थे चार दोस्त
फ़रहाद ओ क़ैस ओ वामिक़ ओ अज़रा थे चार दोस्त अब हम भी आ मिले तो हुए मिल के चार पाँच

Read Next