'ज़फ़र' बदल के रदीफ़ और तू ग़ज़ल वो सुना
'ज़फ़र' बदल के रदीफ़ और तू ग़ज़ल वो सुना कि जिस का तुझ से हर इक शेर इंतिख़ाब हुआ

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