न थी हाल की जब हमें अपने ख़बर रहे देखते औरों के ऐब ओ हुनर
न थी हाल की जब हमें अपने ख़बर रहे देखते औरों के ऐब ओ हुनर पड़ी अपनी बुराइयों पर जो नज़र तो निगाह में कोई बुरा न रहा

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