न दरवेशों का ख़िर्क़ा चाहिए न ताज-ए-शाहाना
न दरवेशों का ख़िर्क़ा चाहिए न ताज-ए-शाहाना मुझे तो होश दे इतना रहूँ मैं तुझ पे दीवाना

Read Next