है रात किन्नी कु देर हाले
मुंडेर दिल दी ते नां तेरे दे, मैं रत्त चो चो ने दीप बाले । मैं डर रही हां कि तेज़ बुल्ला, कोई ज़िन्दगी दा ना आ हिसाले । जां पौ-फुटाला मनुक्खता दा, ना होन तीकर लोय साथ पाले । जां नील रले दो नैन सिल्ल्हिे, वे जान किधरे सू ना जंगाले । वे दूर दिसदी है भोर हाले । वे दूर दिसदी है भोर हाले । समें दे थेह 'ते वेख अड़िआ, कोई बिल्ल-बतौरी पई बोलदी है । वे अमर जुगनूं कोई आतमा दा, चिरां तों दुनियां पई टोलदी है । बेताल शूकर वे राकटां दी, सुन सुन के धरती पई झोलदी है । वे आख अल्लढ़ मनुक्ख हाले वी, घुग्गियां दी थां बाज़ पाले । वे घोर काली है रात हाले । वे घोर काली है रात हाले । वे बाझ तेरे ने फोग सहरा, वे बिन सकूं दे है फोग मसती । वे दिल मुसव्वर दे बिन अजंता, है पब्बां दी बे-हस्स बसती । वे चात्रिक लई तां पाक गंगा, वे पाणियां दी है ख़ाक हसती । वे चन्न दी थां चकोरियां तों, हाए जान सागर किवें हंगाले । वे दिल दिलां तों ने दूर हाले । वे दिल दिलां तों ने दूर हाले । वे हो वी सकदै कि पौन मिट्ठी, जो वग रही है तूफ़ान होवे । जां हो वी सकदै कि मेरे घर कल्ल्हि ढुकनी मेरी मकान होवे । जां हो वी सकदै कि कल्ल्हि तीकण, ना होन डलां ना डान होवे । जां गोर अन्दर होन किधरे ना मुरदिआं लई वे साह संभाले । है दूर नज़रां तों अंत हाले । है दूर नज़रां तों अंत हाले । मैं सोचदी हां कि विस्स काली, हनेर्यां दी नूं कौन पीवे । वे नंग-मुनंगी जेही धरत भुक्खी, वे होर किन्नी कु देर जीवे । युग्ग वेहाए ने बालदी नूं हाए रत्त चो चो के रोज़ दीवे । पर ना ही बीती इह रात काली है ना ही बहुड़ी उशेर हाले । है रात किन्नी कु देर हाले । है रात किन्नी कु देर हाले ।

Read Next