अब आए न मोरे सांवरिया
अब आए न मोरे साँवरिया, मैं तो तन मन उन पर लुटा देती। घर आए न मोरे साँवरिया, मैं तो तन मन उन पर लुटा देती। मोहे प्रीत की रीत न भाई सखी, मैं तो बन के दुल्हन पछताई सखी। होती न अगर दुनिया की शरम मैं तो भेज के पतियाँ बुला लेती। उन्हें भेज के सखियाँ बुला लेती।

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