को‌ई गाता मैं सो जाता
संस्रिति के विस्तृत सागर में सपनो की नौका के अंदर दुख सुख कि लहरों मे उठ गिर बहता जाता, मैं सो जाता । आँखों में भरकर प्यार अमर आशीष हथेली में भरकर को‌ई मेरा सिर गोदी में रख सहलाता, मैं सो जाता । मेरे जीवन का खाराजल मेरे जीवन का हालाहल को‌ई अपने स्वर में मधुमय कर बरसाता मैं सो जाता । को‌ई गाता मैं सो जाता मैं सो जाता मैं सो जाता

Read Next