सुखमय न हुआ यदि सूनापन
सुखमय न हुआ यदि सूनापन! मैं समझूँगा सब व्यर्थ हुआ- लंबी-काली रातों में जग तारे गिनना, आहें भरना, करना चुपके-चुपके रोदन, सुखमय न हुआ यदि सूनापन! मैं समझूँगा सब व्यर्थ हुआ- भीगी-ठंढी रातों में जग अपने जीवन के लोहू से लिखना अपना जीवन-गायन, सुखमय न हुआ यदि सूनापन! मैं समझूँगा सब व्यर्थ हुआ- सूने दिन, सूनी रातों में करना अपने बल से बाहर संयम-पालन, तप-व्रत-साधन, सुखमय न हुआ यदि सूनापन!

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