कोई बिरला विष खाता है
कोई बिरला विष खाता है! मधु पीने वाले बहुतेरे, और सुधा के भक्त घनेरे, गज भर की छातीवाला ही विष को अपनाता है! कोई बिरला विष खाता है! पी लेना तो है ही दुष्कर, पा जाना उसका दुष्करतर, बडा भाग्य होता है तब विष जीवन में आता है! कोई बिरला विष खाता है! स्वर्ग सुधा का है अधिकारी, कितनी उसकी कीमत भारी! किंतु कभी विष-मूल्य अमृत से ज्यादा पड़ जाता है! कोई बिरला विष खाता है!

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