मैंने शान्ति नहीं जानी है!
त्रुटि कुछ है मेरे अंदर भी,
त्रुटि कुछ है मेरे बाहर भी,
दोनों को त्रुटि हीन बनाने की मैंने मन में ठानी है!
मैंने शान्ति नहीं जानी है!
आयु बिता दी यत्नों में लग,
उसी जगह मैं, उसी जगह जग,
कभी-कभी सोचा करता अब, क्या मैंने की नादानी है!
मैंने शान्ति नहीं जानी है!
पर निराश होऊँ किस कारण,
क्या पर्याप्त नहीं आश्वासन?
दुनिया से मानी, अपने से मैंने हार नहीं मानी है!
मैंने शान्ति नहीं जानी है!