हा, मुझे जीना न आया
हा, मुझे जीना न आया! नेत्र जलमय, रक्त-रंजित, मुख विकृत, अधरोष्ठ कंपित हो उठे तब गरल पीकर भी गरल पीना न आया! हा, मुझे जीना न आया! वेदना से नेह जोड़ा, विश्व में पीटा ढिंढोरा, प्यार तो उसने किया है, प्यार को जिसने छिपाया! हा, मुझे जीना न आया! संग मैं पाकर किसी का कर सका अभिनय हँसी का, पर अकेले बैठकर मैं मुसकरा अब तक न पाया! हा, मुझे जीना न आया!

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