अब क्या होगा मेरा सुधार
अब क्या होगा मेरा सुधार! तू ही करता मुझसे बिगाड़, तो मैं न मानता कभी हार, मैं काट चुका अपने ही पग अपने ही हाथों ले कुठार! अब क्या होगा मेरा सुधार! संभव है तब मैं था पागल, था पागल, पर था क्या दुर्बल, चोटों में गाया गीत, समझ तू इसको निर्बल की पुकार! अब क्या होगा मेरा सुधार! फिर भी बल संचित करता हूँ, मन में दम साहस भरता हूँ, जिसमें न आह निकले मुख से जब हो तेरा अंतिम प्रहार! अब क्या होगा मेरा सुधार!

Read Next