जीवन भूल का इतिहास
जीवन भूल का इतिहास! ठीक ही पथ को समझकर, मैं रहा चलता उमर भर, किंतु पग-पग पर बिछा था भूल का छल पाश! जीवन भूल का इतिहास! काटतीं भूलें प्रतिक्षण, कह उन्हें हल्का करूँ मन,- कर गया पर शीघ्रता में शत्रु पर विश्वास! जीवन भूल का इतिहास! भूल क्यों अपनी कही थी, भूल क्या यह भी नहीं थी, अब सहो विश्वासघाती विश्व का उपहास! जीवन भूल का इतिहास!

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