नभ में वेदना की लहर
नभ में वेदना की लहर! मर भले जाएँ दुखी जन, अमर उनका आर्त क्रंदन; क्यों गगन विक्षुब्ध, विह्वल, विकल आठों पहर? नभ में वेदना की लहर! वेदना से ज्वलित उड़गण, गीतमय, गतिमय समीरण, उठ, बरस, मिटते सजल घन; वेदना होती न तो यह सॄष्टि जाती ठहर। नभ में वेदना की लहर! बन गिरेगा शीत जलकण, कर उठेगा मधुर गुंजन, ज्योतिमय होगा किरण बन, कभी कवि-उर का कुपित, कटु और काला जहर? नभ में वेदना की लहर!

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