ओ अँधेरी से अँधेरी रात!
आज गम इतना हृदय में,
आज तम इतना हृदय में,
छिप गया है चाँद-तारों का चमकता गात!
ओ अँधेरी से अँधेरी रात!
दिख गया जग रूप सच्चा
ज्योति में यह बहुत अच्छा,
हो गया कुछ देर को प्रिय तिमिर का संघात!
ओ अँधेरी से अँधेरी रात!
प्रात किरणों के निचय से,
तम न जाएगा हृदय से,
किसलिए फिर चाहता मैं हो प्रकाश-प्रभात!
ओ अँधेरी से अँधेरी रात!