सशंकित नयनों से मत देख
सशंकित नयनों से मत देख! खाली मेरा कमरा पाकर, सूखे तिनके पत्ते लाकर, तूने अपना नीड़ बनाया कौन किया अपराध? सशंकित नयनों से मत देख! सोचा था जब घर आऊँगा, कमरे को सूना पाऊँगा, देख तुझे उमड़ा पड़ता है उर में स्नेह अगाध! सशंकित नयनों से मत देख! मित्र बनाऊँगा मैं तुझको, बोल करेगा प्यार न मुझको? और सुनाएगा न मुझे निज गायन भी एकाध! सशंकित नयनों से मत देख!

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