यातना जीवन की भारी
यातना जीवन की भारी! चेतनता पहनाई जाती जड़ता का परिधान, देव और पशु में छिड़ जाता है संघर्ष महान! हार की दोनों की बारी! तन मन की आकांक्षाओं का दुर्बलता है नाम, एक असंयम-संयम दोनों का अंतिम परिणाम! पूण्य-पापों की बलिहारी! ध्येय मरण है, गाओ पथ पर चल जीवन के गीत, जो रुकता, चुप होता, कहता जग उसको भयभीत! बड़ी मानव की लाचारी! यातना जीवन की भारी!

Read Next