तू देख नहीं यह क्यों पाया?
तू देख नहीं यह क्यों पाया? तारावलियाँ सो जाने पर, देखा करतीं तुझको निशि भर, किस बाला ने देखा अपने बालम को इतने लोचन से? तू देख नहीं यह क्यों पाया? तुझको कलिकाएँ मुसकाकर, आमंत्रित करती हैं दिन भर, किस प्यारी ने चाहा अपने प्रिय को ऐसे उत्सुक मन से? तू देख नहीं यह क्यों पाया? तरुमाला ने कर फैलाए, आलिंगन में बस तू आए, किसने निज प्रणयी को बाँधा इतने आकुल भुज-बंधन में? तू देख नहीं यह क्यों पाया?

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